उपकार करने की क्षमता सबके पास होती है लेकिन उपकार को अपना कर्तव्य बनाने की क्षमता बहुत कम लोगों के पास होती है
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उपकार |
क्या हमें लोगों पर उपकार करना चाहिए,
क्या हमें लोगों पर उपकार करना चाहिए। यह बहुत ही संवेदनशील और दिल को छू लेने वाला मुद्दा है। क्या हमें जीवन में लोगों पर उपकार करना चाहिए, क्या हमें लोगों की मदद करनी चाहिए, क्या हमें लोगों के साथ अच्छे व्यवहार करना चाहिए,
क्या किसी की मदद करने से एक किसी पर परोपकार करने से हमारा कोई फायदा या भला होता है, या उससे हमें कोई नुकसान पहुंचता है, आज हम इसी विषय पर बात करेंगे। और जानेंगे कि हमें लोगों पर उपकार करना चाहिए या नहीं करना चाहिए।
किसी का किया हुआ उपकार कभी मत भूलना और खुद का किया हुआ उपकार कभी मत याद रखना
उपकार, परोपकार की भावना ही जीवन को महान बनाती है, परोपकार पर निबंध,
हमें जीवन में लोगों पर हमेशा उपकार करना चाहिए, जब भी हमें मौका मिले हमें दूसरों की मदद करना चाहिए। दूसरों का भला करना चाहिए।
क्योंकि यदि हम दूसरों की मदद करेंगे। दूसरों का भला करेंगे तो कहीं ना कहीं उसका फायदा जरूर हमें पहुंचेगा। और कहीं ना कहीं किसी मोड़ पर जब हमें मदद की जरूरत होगी, तो कोई ना कोई जरूर हमारी मदद के लिए खड़ा हो जाएगा। कोई ना कोई जरुर हमें मुसीबत में संभाल लेगा।
जिसने पहले कभी तुम पर उपकार किया हो यदि बाद में उससे कोई अपराध भी हो जाए तो उसके पहले के उपकार को याद करके उसके अपराध को क्षमा कर देना चाहिए
दूसरों पर उपकार, परोपकार करना ही सच्चा और सही मानव ध।र्म है
यदि आप दूसरों की मदद करते हैं। तो भगवान को भी यह अच्छा लगता है। और जब आप किसी बड़ी मुसीबत में घिर जाते हैं। और आपको कोई रास्ता और सहारा नहीं मिलता। तब भगवान भी आपकी मदद करते हैं। और आप को इस मुसीबत से बाहर निकालते हैं।
हमें दूसरों की मदद हमेशा करनी चाहिए। बड़े-बड़े महापुरुषों ने और बड़े-बड़े लोगों ने यह हमेशा कहा है। कि जीवन में यदि आप दूसरों की मदद नहीं करते, जीवन में यदि आप दूसरों के काम नहीं आते, तो आपका जीवन व्यर्थ है।
सच्चा परोपकार क्या है
इंसान और जानवर में यही फर्क है। कि जानवर सिर्फ अपने लिए सोचता है। और इंसान जानवर और इंसान दोनों के लिए सोचता है। तो हमें सब की मदद करनी चाहिए।
ऐसे बहुत सारे उदाहरण हैं। जब लोगों ने दूसरों की मदद करने के लिए अपना बहुत नुकसान भी किया। फिर भी वह लोगों की मदद करने से पीछे नहीं हटे और भलाई के रास्ते को नहीं छोड़ा। और जब वह मुसीबत में आए, तो उन्हें कहीं ना कहीं से किसी ना किसी रूप में मदद मिल गई। और वह उस मुश्किल से बाहर निकल गए।
परोपकार का सबसे बेहतरीन उदाहरण क्या है,
मैं आपको महाभारत काल का एक एक बेहतरीन और बहुत बड़ा उदाहरण देता हूं। महाभारत काल में जब भगवान कृष्ण की बुआ के घर शिशुपाल ने जन्म लिया। तो शिशुपाल की मां को यह अपने बच्चे के पैदा होते ही पता चल गया कि कृष्ण के हाथों ही उसके बच्चे का वध होगा। तो वह रोती रोती कृष्ण के पास पहुंची पर अपने बच्चे की जिंदगी के लिए दुआ मांगने लगी। तब कृष्ण ने कहा वह मैं तुम्हारे बच्चे की 100 गलतियां जो वह मेरे साथ करेगा मैं उसे माफ कर दूंगा।
एक बार जब कौरवों की राजसभा में शिशुपाल भगवान कृष्ण को अपशब्द कहने लगा, उल्टा सीधा बोलने लगा, तो भगवान मुस्कुराते हुए सिर्फ उसकी गलतियां गिन रहे थे। गिनते गिनते जब गलतियां 100 हो गई।
तब भगवान ने उसे चेतावनी दी कि शिशुपाल सावधान अगर अब तुमने एक भी गलती की या कुछ भी अपशब्द कहा तो उसके जिम्मेदार तुम खुद होगे।
शिशुपाल फिर भी नहीं माना और जैसे ही उसने एक से एक सौ बार अपशब्द कहा भगवान की उंगली से सुदर्शन चक्र निकला और शिशुपाल का सिर धड़ से अलग हो गया
लेकिन सुदर्शन चक्र उंगली से निकलते समय भगवान की उंगली में थोड़ा घाव लग गया और वहां से खून बहने लगा। यह देखकर द्रोपती भागी भागी आई और उसने अपने साड़ी का पल्लू फाड़कर भगवान कृष्ण की उंगली पर बांध दिया।
भगवान कृष्ण को यह देख कर बहुत अच्छा लगा। तो उन्होंने उसे वचन दिया कि जब कभी तू मुसीबत में होगी, और जब तू कभी तकलीफ में होगी, तो यह तेरा उपकार जो तूने आज मेरे ऊपर किया है वह मैं तेरा उपकार का बदला चुकाने चला लूंगा।
जब कौरवों की भरी सभा में दुशासन द्रौपदी का चीर हरण करने लगा। और कोई भी उस भरी सभा में द्रौपदी की मदद के लिए आगे नहीं आया। तब द्रोपदी ने भगवान कृष्ण को दुहाई दी। उन्हें पुकारा, भगवान उसकी मदद को दौड़े भागे चले आए। और दुशासन साड़ी खींचते खींचते थक गया परंतु साड़ी का दूसरा छोर कभी नहीं आया।
अंत में दुशासन साड़ी खींचते खींचते थक गया। तब भगवान कृष्ण ने उन सब को चेतावनी दी। तब उसने साड़ी खींचना बंद किया।
तो देखा आपने कि भगवान की उंगली से जब रक्त बह रहा था, खून बह रहा था, तो द्रौपदी अपनी साड़ी के एक छोटा सा पल्लू फाड़ कर भगवान की उंगली पर बांधा। और भगवान ने उसके उपकार का कितना बड़ा बदला चुकाया। भरी सभा में उसे बेइज्जत होने से बचाया।
उसके बाद भी भगवान ने यह कहा। कि बहन जो तूने साड़ी का पल्लू मेरी उंगली पर बांधा था। उस उंगली पर निशान आज तक है। और यह तो मैंने तेरा सिर्फ ब्याज चुकाया है। मूल तो तेरा अभी बाकी है। वक्त आने पर तेरा भाई वह भी चुका देगा।
तो देखा आपने किसी पर उपकार करने करने का कितना बड़ा फल मिलता है। तो हमें भी जीवन में उपकार करना नहीं छोड़ना है, लोगों पर उपकार करना है, और जब भी हमें मौका मिले दूसरों की मदद करनी है, जब भी हमें मौका मिले दूसरों के काम आना है।
क्योंकि यह जीवन सिर्फ हम अपने लिए जीते रहेंगे तो इस जीवन का कोई भी मतलब नहीं देगा। लेकिन जब हम अपना जीवन दूसरों के लिए जिऐगे। हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहेंगे। हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए आगे आएंगे। तो सही मायने में हमारा जीवन सार्थक होगा सही मायने में हमारा जीवन सफल होगा।
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